Wednesday, 29 April 2020
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Tuesday, 28 April 2020
मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन में हमें अपने घर जाने के लिए ऐसी व्यवस्था शासन करेगी कभी सपने में नही सोचा था।
Saturday, 18 April 2020
इक्कीसवीं सदी के इस भारत में आज भी गांव के लोग... #COVID19INDIA ARTICLE BY- DUKE
ARTICLE BY- DUKE
18 April 2020
मध्यप्रदेश/विदिशा
इक्कीसवीं सदी के भारत में आज भी गांव के लोग...
#COVID19INDIAजैसा कि हम सुनते आए हैं हमारे बड़े, बूढ़ों से और आज हमने कोरोना वायरस बीमारी के दौरान जो सुना वी देख भी लिया, और इस कोरोना जैसी महामारी पहले भी आ चुकी है, लोग कहते हैं हैं ज़्यादा बर्ष अभी बीती नही बीते 60 साल के आसपास इसी तरह की घटना मानव जगत में हुई थी और यह रिकॉर्ड भी बताता है ,जैसे किताबें, न्यूज़ पेपर्स, एजेंसी, वेबसाइट आदि वो भी 1918 के आसपास में हुई कोरोना जैसी घटना बताते हैं और उस दौरान लोगों को सिर्फ उल्टी और दस्त होते थे उसमे कोई उम्र मायने नही रखती थी उसमें बच्चे, जवान, बुज़ुर्ग सभी आ जाते थे। इस महामारी के समय लोगों में शिक्षा आभाव कम था जिसके बजह से लोगों का ईश्वर के प्रति ज़्यादा आस्था थी। और लोग आयुर्वेदिक दवाओं का स्तेमाल ज़्यादा करते थे। जिससे वो अपने आप को सुरक्षित भी रख पाते थे, मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के कौलावे निवासी मोहन यादव (गुड्डा) बताते हैं, आज के दौर में कोरोना बीमारी फैली हैंएर हमने जो देखा उसका नाम तो पता नही है, हमारे पिताजी, दादा, कक्का, बात करते थे और वो म्हरई (महामारी) नाम की बीमारी का कहा करते थे उस समय (#एक_उल्टी_एक_दस्त) आते थे उसमें ही लोगों की जान चली जाती थी, लोगों के पास पर्याप्त सुविधा ना होने के कारण वो कुओं, बावड़ियों में उन लाशों को दफनाते थे। ऐसी ही घटना मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की ग्राम पंचायत तिलोनी गड़ी मंदिर के पुजारी पहलवान सिंह यादव बताते हैं, वो कहते हैं " हां महामारी के कंकाल तो हमने भी देख लिए हैं, इस मंदिर (ठाकुर बाबा गड़ी) को बनाने के लिए हमने जब इस नींव को खुदवाया था तब इस नींव में मानव शरीर का एक घुटने से पंजे तक का कंकाल मिला जिसके बाद हम असमंजस की स्तिथि में फस गए , अब हमें समझ नही आ रहा था आखिर ये सब क्या और कैसे हुआ होगा। हालांकि हमने देवताओं से इस बारे में पूछा तो उन्होंने नींव को बंद कर दूसरे स्थान पर मंदिर बनाने को कहा जिसके बाद आज वो मंदिर देख पा रहे हैं।
इस बीच मैंने ओर जानने की कोशिश की आज इक्कीसवीं सदी के भारत में आज भी कई गांव-दिहात ऐसे मिले जहां आज भी लोग पुरानी परंपरा पर ज़्यादा विश्वास रखतर हैं शायद वो इससे अपने आप को सुरक्षित भी रख पाते हैं, और ये सब हमने इस भारत में हुए 21 दिन के लॉक डाउन और फिर 2.0 के लॉक डाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों से (दिया ताली,थाली,शंक,) बजाने की अपील की इस दौरान विपक्ष सहित कई लोगों ने मज़ाक वाले मीमस, जोक्स के साथ-साथ कई गंभीर आरोप भी लगाए।
विपक्ष ने कहा लोग कोरोना से कम भूख से ज़्यादा मर जायेंगे, प्रधानमंत्री ताली, थाली, दिए से काम चलने वाला नही है। लोग बेरोजगारी के मारे सड़को पर आ गए हैं बिना कोई प्लान के लॉक डाउन के कारण लोग जहां थे वहीं रह गए हैं। आज लाखों के संख्या में दिहाड़ी मज़दूर मुम्बई, दिल्ली, नोएडा छोड़ भूख प्यास के मारे यहां से घर जाने को कह रहे हैं और ऐसे में हज़ारों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। उन्हें घर जाने की व्यवस्था भी आपकी सरकार कर नही पा रही है।
इधर मोदी सरकार के प्रवक्ताओं का कहना है, ऐंसे संकट के समय जब हमें इस कोरोना जैसी महामारी को हराना है, तब भी इन्हें राजनीति दिखाई दे रही है।
खेर ये तो रही राजनीति है। आखिर अब भी लोग देवताओं के दरवार में पंडितों को खिलाकर, पूजा, पाठ, उपवास कर इस महामारी को भगाने के प्रयास में लगे हैं।
कहते हैं ना "मानो तो भगवान हैं, न मानो तो पत्थर हैं।"
जो मैंने कभी सुना था ऐसा लोग करते थे वो आज आखों देखे देखने को मिल रहा है। गांव के लोग इस डॉक डाउन के दौरान भी पब्लिक प्लेस में भी भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं। हवन, कन्या भोज, भंडारा, आदि करने में व्यस्त हैं। वहीं इधर महिलाएं जल ढहारने (जल चढ़ाने) जा रहीं हैं। यहाँ भी जिस सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने के लिए की प्रधानमंत्री सहित शाषन, प्रशासन सहित कइयों बार अपील कर चुके हैं इस महामारी को बनाये रखना है तो लोगों से दूरी बनाए रखें, पब्लिक प्लेस में ना जाएं घरों में ही रहें ।
सरकार की एक न सुन ईश्वर में आस्था रखते हुए, लोक लॉक डाउन की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ऐसा ही एक वाक्या दिल्ली की निज़ामुद्दीन मरकज का सामने आया था। जहां पर जमातियों ने लॉक डायन का पालन न कर लोगों ने कोरोना वायरस फहला दिया था ? ऐसा कई मीडिया रिपोर्ट्स में छपा और बताया भी था।
जिस समय कोरोना का संकट इस दुनिया पर छाया हुया है। के वो समय है जब 1.किसान फसलों 2.मज़दूर कटाई 3.
व्यापारी धंधे 4.बच्चे परीक्षाओं में व्यस्त होते हैं।
फिर भी लोग (जान है तो जहान है) वाले कॉन्सेप्ट पर चल रहे हैं। लोग घरों में कैद हैं।
चीन के बुहान शहर से फैली यह महामारी भारत सहित दुनिया के तामम देशों में अपनी जड़ें जमा चुका है भारत में भी अब तक 28 राज्यों सहित केंद्र शाषित प्रदेशों में यह महामारी पैर पसार चुकी है।
चीन के बाद इटली, फ्रांस सहित अमेरिका जैसे विकसित देशों में इस Covid19 से चौबीस घण्टो में दस-दस हज़ारों मौतों का आंकड़ा पार कर चुका है।
अब भारत में लोग इस महामारी से अपने आप को कैसे सुरक्षित रख पाते हैं, सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार या फिर प्राचीन काल से चली आ रहीं परम्पराओं के अनुसार। @THEDUKENEWS
Friday, 10 April 2020
कोरोना वायरस से बचने के लिए विदिशा जिले की ग्राम पंचायत तिलोनी में मास्क पहनाकर लोगों को जागरूक किया। #COVID19INDIA #DUKENEWS
