जस्टिस दीपक गुप्ता त्रिपुरा हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस बने थे। 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जज भी रह चुके हैं।
1. देश के इतिहास में यह पहली बार था जब किसी जज को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये फेयरवेल दिया गया।
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REPORT BY- #DUKE
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता आज यानी कि बुधवार को रिटायर हो गए हैं। रिटायर होने से पहले उन्हें विडियो कॉफ्रेसिंग के जरिये फेयरवेल दिया गया ये देश के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी जज को ओस तरह फेयरवेल दिया गया है।
जस्टिस गुप्ता ने अपने संबोधन के दौरान न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए। इस बीच उन्होने कहा की देश का लीगल सिस्टम अमीरों और ताकतवर लोगों के पक्ष में हो गया है। जज ऑस्ट्रिच की तरह अपना सिर नही झुका सकते, उन्हें ज्यूडिशियरी की दिक्कतें समझकर इनसे निपटना चाहिए।
साथ ही उन्होंने कहा " कोई अमीर व्यक्ति सलाखों के पीछे होता है तो कानून अपना काम तेजी से करता है अमीर जमानत पर होता है तो मुकदमे में देरी चाहता है। लेकिन गरीबों के मुकदमों में देरी होती है।
अमीर लोग तो जल्द सुनवाई के लिए उच्च अदालतों की शरण में जा पहुंचते हैं लेकिन, गरीब ऐसा नही कर पाते।
दूसरी ओर कोई अमीर जमानत पर है तो वह जमानत पर है तो वह मुकदमे में देरी करवाने के लिए भी वह उच्च अदालतों में जाने का खर्चा उठा सकता है लेकिन, गरीब नही उठा सकता है।
न्यायपालिकायों को खुद ही अपना ईमान बचाना चाहिए।
इसके बाद दीपक गुप्ता ने कहा कि "न्यायपालिकायों को खुद ही अपना ईमान बचाना चाहिए। देश के लोगों को ज्यूडिशियरी में बहुत भरोसा है। मैं देखता हूँ की, वकील कानून की बजाय राजनीति और सिचारधारा के आधार पर बहस करते हैं। ऐसा नही होना चाहिए।ख़ासकर ऐंसे संकट के उसमें मेरे और आपके संवैधानिक अधिकारों का उलंघन नही होगा। लेकिन, गरीबों के साथ ऐसा हमेशा होता रहता है। उन लोगों की आवाज नहीं सुनी जाती इस लिए उन्हें नतीजा भुगताना पड़ता है।
अगर उनकी आवाज कोई उठाता है तो अदालतों को जरूर सुनना चाहिए। उनके लिए जो किया जा सके करना चाहिए।"
जस्टिस दीपक गुप्ता त्रिपुरा हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस बने थे
त्रिपुरा हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस होने से पहले दीपक गुप्ता हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के जज भी रह चुके हैं और त्रिपुरा हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस भी। इसके साथ ही 2017 में हाईकोर्ट के जज बने थे।
बिल्कुल सही बात है sir
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