(भारतीय संविधान)
नमस्कार मैं बन्टी यादव.... 72 वें गणतंत्र दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं.....
आज हम पूरे देश में गणतंत्र दिवस को बडी धूम-धाम से मना रहे हैं..... कहीं नुक्ति, मिठाईयां तो कहीं लड्डु बांट कर इस पर्व को ओर खास बना रहे हैं.... तो चलिए आज हम बात करते हैं.. संविधान की ( कब, क्यों और कैंसे बना ) हमारा भारती संविधान...
26 नवम्बर 1949 से शुरू हुए इस संविधान निर्माण को आज 71 साल पूरे हो गए हैं.... और 72 वां गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्व के रूप में हम मना रहे हैं... हिन्दूस्तान की यह परमरा रही है कि राष्ट्रीय पर्व के मौके पर कोई विदेशी मैहमान को मुख्य अतीथि के रूप में बुलाया जाता है.... पर इस बार ऐसा नही हुआ... 1966 के बाद यह पहली बार है.... दरअसल कोरोना काल को देखते हुए ऐसा हुआ है....
भारत का जो संविधान है वो भारत का एक सर्वोच्च विधान है.. जबकि गणतंत्र दिवस की अगर हम बात करें तो यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है.. जो हर साल 26 जनवरी के रूप में मनाया जाता है.... इसी दिन 1950 को भारत सरकार अधिनियम एक्ट 1935 को हटाकर भारत का संविधान लागू किया था.... एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज्य स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने इसे अपनाकर 26 जनवरी 1950 को एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के माध्यम से इसे लागू किया था.. वहीं अगर हम बात करें इस दिन की तो 26 जनवरी का यह दिन इस लिए भी खास है क्योंकि इसी दिन 1935 में कांग्रेस पार्टी ने भारत को एक पूर्ण स्वराज घोषित किया था....
दरअसल औपचारिक रूप से एक संविधान सभा ने हमारे भारतीय संविधान को बनाया था जिसे.. अविभाजित भारत में निर्वाचित किया था.. इसकी जो पहली बैठक थी वो 9 दिसंबर 1946 को हूई थी... और फिर पुनः इसकी दुसरी बैठक हुई जो कि 14 अगस्त 1947 को विभाजित भारत के रूप में हुई... साथ ही इसका सदस्य बनने के लिए 1935 में स्थापित प्रांतीय विधान सभा की बैठक हूई जिसके सदस्यों ने अप्रत्यक्ष विधि के माध्यम से संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव कराया... इस बैठक का उद्देश्य यह था कि....
1. प्रत्येक प्रांत देशी रियासत या रियासतों के समूह को उनकी जनसंख्या के आधार पर सीटें दी गईं.... इस दौरान मौटे तौर पर दस लाख की जनसंख्या पर एक सीट का अनूपात रखा गया था... परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार के प्रत्यक्ष शासन वाले प्रांतों को 292 सदस्य चुनने थे.... जिसमें से देशी रियासतों को 93 सीटें आवंटित की गईं थी....
2. प्रत्येक प्रांत की सीटों को तीन समुदायों 1. मुसलमान 2. सिख 3. और सामान्य को उनकी जनसंख्या के आधार पर बांटा गया था....
3. प्रांतीय विधान सभाओं में प्रत्येक समुदाय के सदस्यों ने अपने प्रतिनिधियों को चुना.... और इसके लिए उन्होने समानुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल संक्रमण पद्धति का उपयोग किया था....
4. देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के चुनाव का तरीका उनके परामर्श से तय किया गया था.....
संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारतीय संविधान
सुपुर्द करते हुए डॉ. भीमराव आंबेडकर तश्वीर 26 नवम्बर 1949 की
भारत विभाजन के बाद का संविधान
तो चलिए हम आपको भारत विभाजन के बाद का संविधान बताते हैं.... दरअसल 3 जून 1947 की योजना के अनुसार देश के विभाजन के बाद वे सभी प्रतिनिधि संविधान सभा के सदस्य नही रहे जो अविभाजित पाकिस्तान के क्षेत्रों से चुनकर आये हुए थे.... जिसके बाद संविधान सभा के वास्तविक सदस्यों की संख्या जो थी वो घटकर 299 रह गई.... इस दौरान जब अंतिम रूप से पारित संविधान पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे... तब 26 नवंबर 1949 को कुल 284 सदस्यों ने ही संविधान पर हस्ताक्षर किए..... इस प्रकार विभाजन से उपजी विभीषिका और हिंसा के बीच संविधान का निर्माण हुआ..... भारत के संविधान ने नागरिक्ता की एक नई अवधारणा प्रस्तुत की है... जिसमें अल्पसंख्यक न केवल सुरक्षित हुए बल्कि धार्मिक पहचान का नागरिक अधिकार भी उनको मिला.... इसके अलावा संविधान सभा में उस समय के अनुसूचित वर्गों के 26 सदस्यों को भी शामिल किया गया था.. जहां तक राजनीतिक दलों की बात है.... विभाजन के बाद संविधान सभा में कांग्रेस पार्टी का पर्चश्व था... और उस समय उसे 82 सीटें मिली थीं.... संविधान सभा की सामान्य कार्यविधि में भी सार्वजनिक विवेक का महत्व स्पष्ट दिखाई देता था.... इसी तरह विभिन्न मुध्दों के लिए संविधान सभा की आठ मुख्य कमैटियां बनी हुई थीं... जिसमें आम तौर पर ( पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, और डाक्टर भीमराव आम्डेकर ) इन कमैटियों की अध्यक्षता करते थे.. ये सब कई मुध्दों पर एक-दूसरे से असहमत होने के बाद भी साथ मिलकर काम काम करते थे....
भारतीय संविधान सभा के वो चार मूल तत्व जो संविधान की आत्मा हैं.....
1. संविधान की शक्ति का स्त्रोत देश की जनता है
2. भारत की प्रक्रति प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है
3. संविधान का उध्देश्य- न्याय, स्वतंत्रता, समता बंधुत्व
4. भारतीय संविधान को 26 नवंबर, 1949 में भारतीय जनता ने अपनाया
कहता है, हमारा संविधान
भारत ब्रिटेन के अधिकारों में आने वाले भारतीय क्षेत्रों, देशी रियासतों और देशी रियासतों के बहार के ऐसे क्षेत्र जो हमारे संघ का अंग बनना चाहते हैं.... का एक संघ होगा....
संघ की इकाईयां स्वायत्त होंगी.... और उन सभी शक्तियों का प्रयोग और कार्यों का संपादन करेगा..... जो संघीय सरकार को नही दी गई हैं....
संप्रभु और स्वतंत्र भारत तथा इसके संविधान की समस्त शक्तियों और सत्ता का स्त्रोत जनता है....
भारत के सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक न्याय कानून के समक्ष समानता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता तथा कानून और सार्वजनिक नैतिक्तओं की सीमाओं में रहते हुए.... भाषण, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना, व्यवसाय, संगठन और कार्य करने की मौलिक स्वतंत्रता की गारंटी और सुरक्षा दी जायेगी....
अल्पसंख्यकों, पिछडे व जनजातीय क्षेत्र, दलित व अन्य पिछडे वर्गों को समुचित सुरक्षा दी जायेगी...
गणराज्य की क्षैत्रीय अखंडता तथा थल, जल, और आकाश में इसके संप्रभु अधिकारों की रक्षा सभ्य राष्ट्रों के कानून और न्याय के अनुसार की जायेगी...
विश्व शांती और मानव कल्याण के विकास के लिए देश स्वेच्छा पूर्वक और पूर्ण योगदान करेगा.....
हमारा संविधान 2 बर्ष 11 माह और 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था... यह भारत का सौभाग्य ही था जो हमारी संविधान सभा ने संकुचित द्रष्टिकोण छोडकर संपूर्ण विश्व से सर्वोत्तम चीचों को ग्रहण किया है... ऐसे ही कुछ देश जहां से हमारे संविधान के लिए प्रवधान लिए गये हैं.....
ब्रिटेन -
सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला
सरकार का संसदीय स्वरूप
कानून के शासन का विचार
विधायिका में अध्यक्ष का पद और उनकी भूमिका
कानून निर्माण की विधि
संयुक्त राज्य अमेरिका -
मौलिक अधिकारों की सूची
न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति और न्याय पालिका की स्वतंत्रता
आयरलैण्ड -
राज्य के नीति निर्देशक तत्व
राज्य सभा के सदस्यों का नामाकंन
फ्रांस –
स्वतत्रता, समानता, और बंधुत्व का सिद्धांत
कनाडा –
एक अर्द्ध संघात्मक सरकार का स्वरूप जिसे (सशक्त कैंद्रीय सरकार वाली संघात्मक व्यवस्था) भी कहते हैं.....
अपशिष्ट शक्तियों का सिद्घांत
जर्मनी -
आपातकाल का सिद्धांत
दक्षिण अफ्रीका –
संविधान संशोधन कि प्रक्रिया
रूस -
मूल कर्तव्य
आस्ट्रेलिया -
समवर्ती सूची